विश्व हिंदू परिषद के तत्वाधान में जगदलपुर शहर में राम जन्मोत्सव की विशाल शोभायात्रा संपन्न विश्व हिन्दू परिषद्, वीएचपी और विहिप के नाम से भी जाना जाता है। जो की 29 अगस्त 1964 में मुंबई की सांदीपनी
साधना शाला में हुए एक सम्मेलन के दौरान आरएसएस के सरसंघ चालक गुरू केशवराम काशीराम शास्त्री गोलवलकर ने हिंदू समाज को एकजुट करने और उसकी रक्षा के लिए एक संगठन वीएचपी बनाने का प्रस्ताव दिया था। 1966 के प्रयाग के कुंभ मेले में एक विश्व सम्मेलन के साथ ही इस संगठन का स्वरूप सामने आया। जिसका उद्देश्य और लक्ष्य भी तय किए गए जिनमें हिंदू समाज को मजबूत करना, हिंदू जीवन दर्शन और आध्यात्म की रक्षा, संवर्द्धन और प्रचार विदेशों में रहनेवाले हिंदुओं से तालमेल रखना, हिंदू और हिंदुत्व की रक्षा के लिए उन्हें संगठित करना और मदद करना जिसका चिन्ह बरगद का पेड़ है यानी वट वृक्ष है व इसका ध्येय वाक्य, “धर्मो रक्षति रक्षितः” यानी जो धर्म की रक्षा करता है, धर्म उसकी रक्षा करता है। वीएचपी की उपशाखाओं के तौर पर इसकी युवा शाखा को बजरंग दल, और महिला शाखा को मातृशक्ति दुर्गा वाहिनी के तौर पर जाना जाता है। विश्व हिंदू परिषद बजरंग दल बस्तर में सन 1983 से समाज को संघटित करने का प्रयास करते आ रहा है। समाज को एक मंच में लाने के लिए विश्व परिषद बजरंग दल ने समय-समय पर अनेकों कार्यक्रम किये। बस्तर में अपने धर्म संस्कृति को बचाने के लिए हिंदू समाज को जागृति करने का कार्य कर रहे कई सनातनियो ने अपना जीवन झोंक दिया। हिंदू समाज को घात करने वाले हिंदू विरोधी गतिविधि धर्मांतरण, लव जिहाद, गौ तस्करी से निपटना हो या बस्तर की परम्परा संस्कृति को प्रभावित करने वालों को विश्व हिंदू परिषद मुहतोड़ जवाब दे रहा है। हिंदू राष्ट्र संकल्प लिए साधु संतो की यात्रा ने सनातनियो में ऐसी ऊर्जा भरी फलस्वरूप लाखों की संख्या में सनातनी राम जी का जन्मोत्सव बनाने शहर हो या ग्राम अपने घर से निकल कर आये। राम जन्म उत्सव को भव्य और दिव्य बनाने में सभी समस्त हिंदू समाज का सहयोग मिला और कार्यक्रम सफल और भव्य हुआ । समस्त हिंदू संगठन, सामाजिक संघटन, जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, नगरीय निकाय, विदयुत विभाग, मीडिया बंधुओं आप सभी का सहयोग मिला आप सभी सामाजिक बंधुओं से आग्रह है इसी तरह आप सभी का सहयोग मिलता रहे। हम सभी सनातनियो का सौभाग्य है की बस्तर जहाँ हम निवासरत है वहा प्रभु श्री राम जी 10 वर्षों से अधिक रहे, जिसका प्रमाण ग्रंथो में और आदिवासी के नाम में राम शब्द का जुड़ा होना महत्वपूर्ण प्रमाण है। बस्तर की संस्कृति अद्वितीय है इसलिए विहिप ने बस्तर की संस्कृति को जैसे नृत्य, वाद्य यंत्र, देवी पालकी को झांकी में शामिल किया।