डॉक्टर चायवाला यह सुनकर आपको लगने लगेगा कि एमबीबीएस की पढ़ाई करने के बाद डॉक्टर बनने के चलते युवक ने चाय की दुकान खोली हो.मगर ऐसा कुछ भी नहीं है.बस्तर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल के ठीक बगल में अशोक जायसवाल नाम का युवक चाय बेचता है.जब भी अस्पताल में इलाज कराने आए गरीब बेसहारा लोगों के पास दवाई के लिये पेसे नही होते तो अशोक उन्हें अपने पैसे से दवाई खरीद के उपलब्ध कराते थे.गर्भवती महिलाओं को दूध गर्मपानी इत्यादि की भी व्यवस्था भी निःशुल्क कराते थे और हमेशा चाय पीने आने वाले लोग उन्हें डॉक्टर चाय वाले के नाम से पुकारते हैं तभी से युवक का नाम डॉक्टर चायवाला पड़ गया.अशोक ने तब से अपनी दुकान का नाम डॉक्टर चायवाला रख लिया.अशोक अब डॉक्टर चायवाला के नाम से चर्चित हो गया है. इसकी चाय पीने लोग दूर-दूर से आते हैं और चाय पी कर पैसे देकर गरीब मरीजों की मदद करने का प्रयास करते हैं.महारानी अस्पताल में आने वाले गरीब मरीजों की मजबूरी को देखकर डॉक्टर चाय वाले ने इनकी मदद करने की ठानी और अपनी चाय की कमाई का कुछ अंश वे गरीब मरीजों की मदद करने में लगाते है.इसके अलावा अशोक बेटियों को बचाने के लिए भी प्रयास कर रहें है.अपने किराए के ठेले में अशोक ने बेटी बचाने के लिए कई स्लोगन भी लिखवा रखें हैं. उसने एक नारा भी बनाया है “आज बेटी नहीं बचाओगे तो कल मां कहां से पाओगे” ,बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और भी कई नारे उन्होंने लिखवा रखे हैं. डॉक्टर चाय वाला के नाम से मशहूर 30 साल का अशोक जयसवाल मूलत उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद के रहने वाले हैं.वह 2004 में जगदलपुर आया था. इस दौरान उन्होंने अस्पताल के सामने चाय की दुकान शुरू की.उसके बाद वहीं लगातार चाय की दुकान लगाने लगा.अशोक महीने के 30 से 40,हजार रुपय चाय बेचकर कमा लेता है और अपनी आमदनी से कुछ पैसे बचा कर लोगों की मदद करता है. अशोक ने अपनी दुकान पर एक बोर्ड भी लगवा दिया है जिसमें किसी भी प्रकार के जरूरतमंद मरीजों के लिए वे पंद्रह 15 सौ रुपय तक की दवा अपने खर्चे पर दिला देते हैं . इसके अलावा बच्चों को जन्म देने वाली महिलाओं और बच्चों के लिए दूध के पैसे नहीं लेते हैं . अशोक जयसवाल के चाय के ठेले पर शहर के कई लोग आते हैं चाहे उनकी दुकान 2 किलोमीटर दूर क्यों ना हो.सुबह और शाम के वक्त बड़ी संख्या में उनकी चाय पीने लोग आते हैं.ताकि अशोक की चाय पी कर अपना कुछ अंश गरीब मरीजों के लिए उपलब्ध करा सकें.अशोक जायसवाल के इस प्रयास काफी तारीफ की जा रही है.लोग कह रहे हैं कि ऐसा हर कोई करना प्रारम्भ कर दे तो अस्पताल में आए गरीब मरीजों को किसी प्रकार की कोई तकलीफ नहीं होगी