बेंगलुरु. बीते करीब दो महीनों से दिल्ली-एनसीआर समेत देश के कई राज्यों में फैला H3N2 वायरस अब जानलेवा भी साबित हो रहा है। इस वायरस से संक्रमित दो लोगों की मौत की खबर सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक इनमें से एक मामला हरियाणा का है, जबकि दूसरा केस दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक का है। इस वायरस से संक्रमण में बुखार, जुकाम, सर्दी, गले में खराब और आंखों में जलन जैसे लक्षण दिखते हैं। कई बार तेज बुखार तो दो से तीन दिन में ठीक हो जाता है, लेकिन गले की समस्या थोड़ा लंबे समय तक बनी रह सकती है। यही नहीं यह संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से दूसरे लोगों को भी प्रभावित कर सकता है।
कर्नाटक के हासन जिले में 82 वर्षीय बुजुर्ग की इस वायरस के चलते मौत हुई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक बुजुर्ग की 1 मार्च को मौत हो गई। राज्य सरकार के अधिकारियों ने कहा कि बुजुर्ग को बुखार, गले में खराब, शरीर में दर्द जैसी समस्याएं थीं। उन्हें बीमारी के बाद हासन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में 24 फरवरी को एडमिट कराया गया था, जहां उनकी 1 मार्च को मौत हो गई।
H3N2 वायरस से देश में अब तक 6 लोगों की मौत हो गई है. सूत्रों के मुताबिक, कर्नाटक, पंजाब और हरियाणा में H3N2 वायरस से मौत की पुष्टि हुई है. हालांकि, सूत्रों का कहना है कि शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है. हालांकि, H3N2 से मौत की वजह का पता लगाने के लिए और जांच की जरूरत है.
हासन के जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि H3N2 वायरस से बुजुर्ग की मौत की पुष्टि 6 मार्च को हुई। स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल प्रशासन की ओर से सर्विलांस किया जा रहा है कि बुजुर्ग के संपर्क में कौन लोग आए थे। इन लोगों पर नजर रखी जाएगी ताकि यह वायरस फैल न सके।
स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक देश भऱ में अब तक H3N2 वायरस के 90 केस पाए गए हैं। इसके अलावा H1N1 वायरस के भी 8 मामले मिले हैं। दरअसल बदलते मौसम के चलते देश के कई राज्यों में बड़ी संख्या में लोग बुखार का शिकार हो रहे हैं। इनमें से काफी लोगों के H3N2 वायरस से संक्रमित होने की भी आशंका है। इस वायरस को हॉन्गकॉन्ग फ्लू के नाम से भी जाना जाता है। इस से संक्रमित लोगों में तेज बुखार, खासी, सांस लेने में परेशानी और बेचैनी जैसे लक्षण पाए जाते हैं। यही नहीं गले में खराश, थकान, शरीर में दर्द और डायरिया की समस्या भी पाई जा रही है।
पहले से बीमार लोगों को सावधान रहने की जरूरत
इसे लेकर मेडिकल एक्सपर्ट्स अलर्ट मोड में आ गए हैं. वह इसके प्रकोप से निपटने के लिए दिशा-निर्देश और सुझाव दे रहे हैं. जहां एम्स के पूर्व डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि H3N2 एक प्रकार का इन्फ्लूएंजा वायरस है, जिसके मरीज हर साल इस समय सामने आते हैं. यह ऐसा वायरस है, जो समय के साथ उत्परिवर्तित होता है.
डॉ. गुलेरिया का कहना है कि यह इन्फ्लुएंजा वायरस ड्रॉपलेट्स के जरिए कोविड की तरह ही फैलता है. केवल उन लोगों को सावधान रहने की जरूरत है, जिन्हें पहले से ये बीमारी है. एहतियात के तौर पर मास्क पहनें, बार-बार हाथ धोएं, फिजिकल डिस्टेंसिंग रखें. हालांकि इससे बचाव के लिए वैक्सीन भी उपलब्ध है.
H3N2 और COVID-19 में क्या अंतर है?
एम्स के मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रोफेसर पीयूष रंजन कहते हैं कि कोविड निचले रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट यानी श्वसन पथ को प्रभावित करता है. जबकि H3N2 ऊपरी रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट को प्रभावित करता है. जैसे बुखार, खांसी, सर्दी, गले, नाक और आंखों में जलन का लंबे समय तक बने रहना. दरअसल, दोनों के लक्षण समान हैं और यह तेजी से फैल रहा है. वहीं, कुछ निजी अस्पताल H3N2 के लिए टेस्ट कर रहे हैं, लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि ये जांच अनावश्यक और महंगी है. क्योंकि इसके टेस्ट सरकारी अस्पतालों में नहीं किए जा रहे हैं. जबकि प्राइवेट हॉस्पिटल H3N2 की जांच के लिए 6000 रुपये तक चार्ज कर रहे हैं.