हमारे बस्तर में खिड़खिड़ी एक बहुत ही गंभीर विषय है। घंटे भर में लाखों रूपया लूट कर ले जाते हैं। तो सोचिए प्रतिदिन रात भर ये लोग खिड़खिड़ी खिला कर कितना लूटते होंगे।हर गांव में, हर मेला में व साप्ताहिक बाजार में तो कितना पैसा होता होगा, एक मेला में कम से कम 10-12 पढ़ रहता है, यह एक करोड़ों का खेल होता है। सवाल ये होता है कि ये पैसा कहां और कैसे आता है।
ये पैसे पूरे मासूम गांव वालो का होता है। खिड़खिड़ी खिलने वाले लोग गांव वालो को पैसे जीताने का लालच देकर आधे से ज्यादे पैसे खुद लूट कर ले जाते हैं।दिनदहाड़े बीच बाजार में मेला में खिड़खिड़ी का खेल होता है तो इसको क्यों अनदेखा किया जाता हैं।
आजकल हमारे युवा, बच्चे, बूढ़े सब अपने खून पसीने से की गई मजदूरी की कमाई को, अपने खेत को बेच कर यहा तक कई लोग तो अपने जेवर और गाड़ी को बेच देते या उन्हें गिरवी रख देते है।ताकि सिर्फ वे इस खेल को खेल सके। वे अपने पैसे एक दिन में खिड़खिड़ी पर लुटा देते है। सिर्फ मजदूरी करने वाले ही नहीं कई कर्मचारी भी इसका शिकार बन जाते हैं।
तो बात ये आती है कि उनको परमिशन कौन देता है। और क्या हमारे कानून प्रशाशन के लोग और कई पत्रकार भी इन सब चीजों से जुड़े हुए है? और क्या इन सभी की भी जेब खिड़कीड़ी वालों की वजह से भरती है। यदि नहीं तो उनपर कोई कार्यवाही क्यों नहीं की जाती है। ये लोग खिड़खिड़ी के रूप में कितना बड़ा जुआ खिलाते हैं। इन लोगों को तो सलाखों के अंदर होना चाहिए पर ऐसा क्यों नहीं रहा है?
सोचिए कितना गंभीर विषय है यह, इस चीज का क्या करना चाहिए। इस विषय में सरकार को तथा कानून व्यवस्था को ध्यान पूर्वक सोचना चाहिए।और इन्हें आखिर परमिशन कौन लोग देते हैं? इनको जुआ खिलाने में क्यों डर नहीं लगता है? इस विषय में जांच होनी चाहिए तथा जुर्म के खिलाफ हम सबको जागरूक होकर आवाज उठानी चाहिए।
सवाल तो बहुत से है और इनके जवाब ढूंढना भी बहुत महत्वपूर्ण है। जल्दी ही इन सब चीजों पर से हमारा न्यूज पर्दा उठने वाला है।आगे की खबरें जानने के लिए जुड़े रहिए “अभी तक भारत 24×7” के साथ।
माधोता से B.W.K Nag Raj की रिपोर्ट…